खेतों में लगी मक्का की फसल बर्बाद हो रही है। समय रहते अगर इसका उपचार नहीं किया जाए, तो ये कीड़े मक्का के पौधों के पत्ते में छेद कर देते हैं। इस अमेरिकन हानिकारक कीट का नाम फॉलआर्मी वर्म है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने पाया कि सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड क्षेत्र के रायपुरा, बनमा इटहरी प्रखंड क्षेत्र के चकभारो सहित अन्य जगहों पर मक्के में यह कीड़ा लग चुका है। ऐसे में इन क्षेत्रों में 80% तक उत्पादन कम हो सकता है।

सहरसा जिले के किसानों के लिए मुख्य नकदी फसल मक्का है। इस वर्ष 30,448 हेक्टेयर में मक्के की खेती हुई है। सिर्फ कोसी दियारा क्षेत्र के 14891 हेक्टेयर में मक्की की खेती हुई है। यहां औसतन 70 क्विंटल प्रति एकड़ मक्के का उत्पादन होता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मक्के के पौधे पर अमेरिकन मूल के फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप देखा जा रहा है।

 

इन दवाओं का करें छिड़काव
पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक राहुल कुमार ने बताया किसानों को फेरोमोन ट्रैप लगाना चाहिए। साथ ही पौधों के गाभा में सूखी मिट्टी अथवा रेत डालना चाहिए। इसके अलावा कम प्रकोप की स्थिति में मेटाराइजियम एनिसोप्लाय 5 ग्राम प्रति लीटर या नोमुरिया रिलेइ 5-5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर मक्के के एक कोने में 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए।

फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप अत्यधिक होने की स्थिति में इमामेक्तिन बेजोएट 5 परसेंटए एसजी 4 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर अथवा क्लो रेन्टेनिलीप्राल 18.5% एससी 4 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। किसानों को ये सभी दवाएं रियायती दरों पर भी मिल जाएंगी। खेतों में कीटनाशी का प्रभाव कम है तो वह फेरोमोन ट्रैप लगा सकते हैं। इस पर बिहार सरकार और कृषि विभाग 75% तक का अनुदान दे रहा हैण् इस दवा का छिडकाव दोपहर के 3 बजे के बाद ही करें।

 

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