एक नवंबर को पंजाब में पराली जलाने की कुल 1921 घटनाएं हुई जो मौजूदा जो मौजूदा समय में सबसे ज्यादा है। वहीं हरियाणा में पंजाब के मुकाबले पराली जलाने के मामले न के बराबर हैं। हरियाणा में बुधवार को 100 से भी कम जगह ही पराली जलाने का मामले सामने आए। इसी का नतीजा है कि उत्तर भारत के कई राज्यों में प्रदूषण स्तर खतरे के निशान पर हैं। बुधवार को भी हरियाणा के 13 शहरों में स्थिति खराब रही।

अमित धवन , हिसार। (Stubble Burning Case) हरियाणा में पंजाब के मुकाबले पराली जलाने की घटनाएं न के बराबर हैं। हरियाणा में बुधवार को 99 जगह पराली जली। सबसे ज्यादा फतेहाबाद में 28 मामले सामने आए। दूसरी तरफ पड़ोसी राज्य में लगातार चार दिन से पराली जलाने की 1500 से अधिक घटनाओं के बीच बुधवार को रिकार्ड टूट गया।

एक नवंबर को पराली जलाने की कुल 1921 घटनाएं दर्ज की गईं, जो मौजूदा सीजन में सर्वाधिक हैं। ताजा आंकड़ा एक दिन पहले की तुलना में लगभग 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी दिखा रहा है। जिम्मेदार कोई भी हो, लेकिन पराली का धुआं वायु प्रदूषण बढ़ा रहा है।

पराली जलाने के मामले पिछले साल के मुकाबले कम

पीजीआइ चंडीगढ़ और पंजाब यूनिवर्सिटी के पर्यावरण विशेषज्ञों की एक रिसर्च टीम ने आंकड़ों का आंकलन किया है। पीजीआइ के पर्यावरण विशेषज्ञ प्रो. रविंदर खाईवाल ने कहा कि पराली जलाने के मामले पिछले साल के मुकाबले कम हैं, लेकिन अभी भी लगातार पराली जलाई जा रही है।

फतेहाबाद में एक्यूआइ 413 जबकि हिसार में पहुंचा 404

इसी का नतीजा है कि उत्तर भारत के कई राज्यों में प्रदूषण स्तर खतरे के निशान पर हैं। बुधवार को भी हरियाणा के 15 शहरों में स्थिति खराब रही। हिसार व फतेहाबाद सबसे प्रदूषित रहे। फतेहाबाद में वायु गणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 413 और हिसार में 404 रहा।

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