वृद्धि हुए जीवन-यापन खर्चों और महंगाई को देखते हुए सरकार 50 करोड़ कामगारों का न्यूनतम वेतन बढ़ा सकती है। 2017 में यह वेतन पिछली बार रिवाइज़ किया गया था।
Haryana update: अंतरिम बजट 2024 तैयारी हो चुका है। विभिन्न उद्योगों से सरकार को कई सिफारिशें मिल रही हैं। इन सिफारिशों को स्वीकार किया जाएगा या नहीं, ये पूरी तरह से सरकार पर निर्भर है। हालाँकि, अच्छी खबर है कि सरकार मजदूरों को 2024 के चुनावों से पहले बड़ा तोहफा दे सकती है। सरकार शायद अनिवार्य राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन में वृद्धि की सिफारिश मान ले। ऐसा होने से असंगठित क्षेत्रों के 50 करोड़ कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलेगा।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एसपी मुखर्जी ने 2021 में न्यूनतम वेतन बढ़ाने की सिफारिश की है। इस रिपोर्ट में अधिकारियों ने कहा कि 50 करोड़ कर्मचारी अभी तक 176 रुपये न्यूनतम वेतन पर काम कर रहे हैं, जो सरकार को अप्रैल-मई 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहबता देगा। 50 करोड़ लोगों में से ९० प्रतिशत असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं। 2017 में इस वेतन को वापस दिया गया। अधिकारियों का कहना है कि बढ़ती हुई महंगाई और जीवन-यापन की खर्चों के चलते इसे रिवाइज़ किया जाना आवश्यक है।
ले इसे अपना सकती है। यह भी कहा गया है कि कमेटी की रिपोर्ट लगभग समाप्त हो चुकी है। इसके पूर्ण होने की उम्मीद है अंतिम राउंड की बैठक से पहले।
क्या सभी राज्य लागू होंगे?
न्यूनतम वेतन की दरें अभी तक राज्यों के लिए बाध्याकारी नहीं हैं, लेकिन अगर नई दरें लागू होती हैं तो सभी राज्यों को इसे लागू करना होगा। 2019 में लागू हुई वेतन संहिता (Code of Wages, 2019) ने केंद्र सरकार को कर्मचारियों के जीवन-यापन के लिए न्यूनतम मानदंड लागू करने का अधिकार दिया। इसलिए यह मानना चाहिए कि इसके लागू होने पर पांच सौ करोड़ कर्मचारियों को फायदा मिलेगा।
न्यूनतम वेतन क्या होगा?
2019 में अनूप सत्पति की अगुवाई वाली एक कमेटी ने न्यूनतम वेतन 375 रुपये रखने की सिफारिश की थी। सरकार ने इस कमेटी के प्रस्ताव को मंजूर नहीं किया। सरकार ने नियोक्ताओं की बड़ी आर्थिक चिंताओं को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया था। क्या इस बार 375 रुपये मिल सकते हैं? वर्तमान कमेटी का मूल्य 176 से 357 रुपये के बीच हो सकता है, हालांकि अभी तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं है।
मीडिया रिपोर्टों ने बताया कि चर्चा में भागीदार नियोक्ताओं के एक प्रतिनिधि ने कहा कि उम्मीद है कि कमेटी नियोक्ताओं की आर्थिक जिम्मेदारियों का आकलन करते हुए न्यूनतम वेतन के लिए समानता बनाने की कोशिश करेगी। कमीटी महंगाई और गैर-खाद्य और न्यूट्रिशन की जरूरतों को भी देखेगी।