Wheat Stock Limitation: तत्काल प्रभाव से सरकार ने थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और प्रोसेसिंग फर्मों के लिए गेहूं स्टॉक रखने के मानदंडों को सख्त कर दिया ताकि गेहूं की जमाखोरी को रोका जा सके और कीमतों को नियंत्रित किया जा सके।
Wheat Stock Limitations:केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बताया कि थोक विक्रेताओं और व्यापारियों के लिए गेहूं भंडारण की सीमा 2,000 टन से 1,000 टन कर दी गई है।
उन्होंने कहा कि बड़े खुदरा विक्रेताओं के प्रत्येक डिपो के लिए 5 टन, और उनके सभी डिपो के लिए 1,000 टन की भंडारण सीमा होगी। गेहूं उत्पादन करने वालीं कंपनियां वित्त वर्ष 2022–2023 के बाकी महीनों के अनुपात में मासिक स्थापित क्षमता का 70% रख सकती हैं। यह गेहूं की कृत्रिम कमी को कम करने और जमाखोरी को नियंत्रित करने के लिए किया गया है। बदली गई स्टॉक लिमिट तुरंत प्रभावी होगी।
पोर्टल पर हर शुक्रवार को स्टॉक की जानकारी दी जाएगी
केंद्रीय खाद्य सचिव ने कहा कि व्यापारियों को 30 दिन का समय दिया जाएगा कि वे अपने स्टॉक को संशोधित सीमा तक कम कर सकें। एक आधिकारिक घोषणा के अनुसार, गेहूं भंडारण करने वाली सभी फर्मों को गेहूं स्टॉक सीमा संबंधी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा और हर शुक्रवार को अपने स्टॉक की जानकारी देनी होगी। पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करने वाले या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करने वाले फर्म के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा छह और सात के तहत उचित दंडात्मक कार्रवाई की गई।
गेहूं निर्यात पर मई 2022 से ही प्रतिबंध
12 जून को, खाद्य मंत्रालय ने अनाज कारोबारियों पर मार्च 2024 तक स्टॉक रखने की सीमा लगा दी। 14 सितंबर को सीमा को और भी कम करके बड़े खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं और उनके सभी डिपो में 2,000 टन कर दिया गया। मई 2022 से सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है। इसके अलावा, गेहूं को मुक्त बाजार बिक्री योजना के तहत थोक ग्राहकों को रियायती दर पर बेचा जा रहा है।